रंगीन मछली पालन के लिए एक्वेरियम बनाएं
विश्व
में रंगीन मछलियों का व्यापार 50 करोड़ अमेरिकी डालर को पार कर गया है
जिसमें भारत की ह्स्सेदारी मात्र 5 करोड़ रुपये का है। हमारे
देश में रंगीन मछली पालन शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का काफी
क्षमता रखता है। रंगीन मछलियों को शिशे के एक्वेरियम में पालन एक विशिष्ट शौक है।
रंग बिरंगी मछलियों बच्चे एवं बूढ़े सभी का मन मोह लेती है। विज्ञान में यह कहा गया
है कि रंगीन मछलियों के साथ समय व्यतीत करने में मानसिक तनाव कम होती है। आजकल
एक्वेरियम को घर में सजाना लोगों का एक समान्य फैशन हो गया है।
2. बल्ब लगा हुआ ढक्कन
3. आवश्यकतानुसार टेबुल/
स्टैंड
4. सीलेंट/ पेस्टिंग गन
5. छोटे-छोटे रंग-बिरंगे
पत्थर
6. जलीय पौधे (कृत्रिम या प्राकृतिक)
7. एक्वेरियम के पृष्ठ भूमि
के लिए रंगीन पोस्टर
8. सजावटी खिलौने
9. थर्मामीटर
10. थर्मोस्टैट
13. क्लोरिन मुक्त जल
14. रंगीन मछलियों पसंद के
अनुसार
15. मछलियाँ का भोजन-जरुरत के
अनुसार
16. हैंड नेट
17. बाल्टी
18. मग
19. स्पंज इत्यादि
एक्वेरियम रखने का स्थान
समतल होना चाहिए तथा धरातल मजबूत होना चाहिए। लोहे या लकड़ी का बने मजबूत स्टैंड या
टेबुल का प्रयोग किया जा सकता है। जहां एक्वेरियम रखना है वहां बिजली की व्यवस्था
भी आवशयक है।
स्वयं एक्वेरियम निर्माण
में सावधानी की आवश्यकता होती है। पालिस किये गए शीशे के प्लेट को सीलेंट से जोड़कर
आप एक्वेरियम बना सकते हैं। बाजार में उपलब्ध एक्वेरियम बिक्रेता से अपने पसंद का
एक्वेरियम खरीद सकते हैं। घरों के लिए एक्वेरियम मुख्यत: 60 x 30 x 30 से.मी. लम्बाई, चौड़ाई एवं उंचाई की मांग अधिक है।
शीशे की मोटाई 2-6 मी.मी. होनी चाहिए। एक्वेरियम को ढकने के
लिए फाईबर या लकड़ी के बने ढक्कन के चुनाव कर सकते हैं। ढक्कन के अंदर एक बल्ब लगी
होनी चाहिए। 40 वाट के बल्ब की रोशनी एक साधारण एक्वेरियम के
लिए उपयुक्त है।
एक्वेरियम को खरीदने के
बाद उसे सजाने से पहले अच्छी तरह साफ पानी से थो लेना चाहिए। इसके बाद साफ बालू की
परत बिछा देते हैं और उसके ऊपर छोटे-छोटे पत्थर की एक परत बिछा दिया जाता है।
पत्थर बिछाने के बाद थर्मोस्टैट, एयरेटर एवं फिल्टर को लगा दिया जाता है।
एक्वेरियम में जलीय पौधे
लगाने का प्रचलन है। बाजारों में आजकल कृत्रिम पौधे तरह-तरह के उपलब्ध है।
एक्वेरियम को आकर्षक बनाने के लिए तरह-तरह के खिलौने अपने पसंद से लगाये जा सकते
हैं। पौधे एवं खिलौने अपने पसंद से लगाये जा सकते हैं। पौधे एवं खिलौना को सजा
लेने के बाद पानी भरा जाता है। एक्वेरियम में भरा जानेवाला पानी क्लोरिन मुक्त
होना चाहिए। इसलिए यदि नल का पानी हो तो उसे कम से कम एक दिन संग्रह कर छोड़ देना
चाहिए और फिर उस पानी को एक्वेरियम में भरना चाहिए।
परामीटर
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मात्रा (value)
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pH
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7.5-8.5
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घुलित आक्सीजन
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5 मि०ग्रा०/लीटर
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क्षारीयता
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40-120 मि०ग्रा०/लीटर
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तापमान
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24o - 28o c
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एक्वेरियम में पानी भरने के बाद एक
या दो दिन अनुकूलन के लिए छोड़ दिया जाता है। दो दिन बाद मछलियों का संचयन किया
जाना बेहतर माना जाता है।
एक्वेरियम तैयार कर
अनुकूलित करने के बाद उसमें विभिन्न प्रकार की रंग बिरंगी मछलियाँ पाली जाती है।
रंगीन मछलियों के अनके प्रजातियां हैं, पर इन्हें एक्वेरियम में एक
साथ रखने के पहले जानना आवश्यक है कि ये एक दुसरे को हानि तो नहीं पहुंचाएंगे।
छोटी आकार की मछलियाँ रखना एक्वेरियम के लिए ज्यादा बेहतर माना जाता है, जिनका नाम निम्नलिखित है : -
2. प्लेटी
3. गप्पी
4. सोई टेल
5. गोरामी
7. एंजल
8. टैट्रा
9. बार्ब
10. शार्क
11. आस्कर
12. गोल्ड फिश
इन मछलियों के अतिरिक्त
कुछ देशी प्रजातियाँ हैं जिनको भी एक्वेरियम में रखा जाने लगा है – जैसे –
लोच, कोलीसा, चंदा,
मोरुला इत्यादि।
आमतौर पर 2-5 से.मी.
औसतन आकार की 50 मछलियाँ प्रति वर्ग मी. जल में रखना ज्यादा
बेहतर माना गया है।
मछलियों का प्राकृतिक आहार
प्लवक है परन्तु एक्वेरियम में मुख्यत: कृत्रिम आहार का प्रयोग किया जाता है।
बाजार में रंग-बिरंगे आकर्षण पैकेटों में इनका आहार उपलब्ध है। आहार दिन में दो
बार निश्चित समय में 2%
शरीर भार के अनुसार दिया जाना चाहिए। यह मात्रा जरुरत के अनुसार
बढ़ायी या घटायी जा सकती है। भोजन उतना ही देना चाहिए जितना मछलियां तुरंत खाकर
खत्म कर दें। सप्ताह में एक या दो बार प्लवक भी खिलाना चाहिए इससे मछलियों की चमक
बनी रहती है।
1. थर्मोस्टैट द्वारा पानी का
तापमान 24o - 28o c
के बीच बनाये रखें।
2. एयरेटर द्वारा वायु प्रवाह
निरंतर करना चाहिए।
3. पानी साफ रखने के लिए
फिल्टर का उपयोग करना चाहिए।
4. एक्वेरियम में उपस्थित
अनावश्यक आहार,
उत्सर्जित पदार्थों को प्रतिदिन साइफन द्वारा बहार निकालना चाहिए।
5. हर 15 दिन में
एक बार आधा पानी निकलकर स्वच्छ पानी भरना चाहिए।
6. यदि कोई मछली मर जाती है
तो उसे तुरंत निकाल देने चाहिए।
7. याद कोई मछली बीमार हो तो, इसका
उपचार करना चाहिए।